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Civil Lines, Parikrama Marg, Faizabad, Ayodhya - Phone : (05278) 223460, 223969, Fax : 220110
फ़ैज़ाबाद
ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। कलकत्ता क़िला, नागेश्वर मंदिर, राम जन्मभूमि, सीता की रसोई, अयोध्या तीर्थ, गुरुद्वारा ब्रह्मकुण्ड और गुप्तार घाट यहां के प्रमुख एवं प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से हैं। छावनी छेत्र से लगा हुआ गुप्तार घाट में अवस्थित श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर नगरवासियों की आस्था का केन्द्र है
अयोघ्या
इस प्राचीन नगर के अवशेष अब खंडहर के रूप में रह गए हैं जिसमें कहीं कहीं कुछ अच्छे मंदिर भी हैं। वर्तमान अयोघ्या के प्राचीन मंदिरों में सीतारसोई तथा हनुमानगढ़ी मुख्य हैं। कुछ मंदिर 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में बने जिनमें कनकभवन, नागेश्वरनाथ तथा दर्शनसिंह मंदिर दर्शनीय हैं। कुछ जैन मंदिर भी हैं। यहाँ पर वर्ष में तीन मेले लगते हैं - मार्च-अप्रैल, जुलाई-अगस्त तथा अक्टूबर-नंवबर के महीनों में। इन अवसरों पर यहाँ लाखों यात्री आते हैं। अब यह एक तीर्थस्थान के रूप में ही रह गया है।
Gulab Bari
Literally meaning 'Garden of Roses', the tomb of Nawab Shuja-ud-Daula (third Nawab of Awadh), this place has a good collection of roses of various varieties set by the sides of water fountains. Gulab Bari also houses a maqbara (Mausoleum) of Nawab Shuja-ud-Daula in the campus.
Bahu Begum ka Maqbara
(The Mausoleum of the Queen Bride) the memorial built for queen of Nawab Shujah-ud-Daulah, Unmatuzzohra Bano Begum. Its one of the tallest buildings in Faizabad and is a beautiful example of non-mughal Muslim architecture. Sadly, this beautiful monument is a victim of neglect and is crumbling.
Guptar Ghat
the Ghat (Jetty) where Lord Rama is believed to have taken 'jal samadhi' (leaving the earth for 'Baikuntha', the divine abode of Lord Vishnu, by drowning himself). It has picturesque view of the saryu river and its green banks and has several ancient temples. The view of sunset from Guptar Ghat is breathtaking. a boat ride is a must while visiting this place.
(The Dogra Regimental Centre/ Corps of Military Police CMP Temple) Located in cantonment area, this temple is beautifully built and the cleanlines and the pollution free environment is just spiritual thing.
Company Gardens
Adjoining Guptar Ghat, on the banks of River Saryu, is Company Gardens, a botanical garden built during British Rule. it has a well maintained, sprawling garden set amidst lush greenery, far away from the hustle and bustle of the town. It also has an orchard spread over acres. Plants and Trees can also be bought here. The remains of the fort built by Nawab Shuja-ud-Daula after the battle of Buxar is also within walking distance.
रामकोट
शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट अयोध्या में पूजा का प्रमुख स्थान है। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना जाना लगा रहता है। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
त्रेता के ठाकुर
यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था। लगभग 300 साल पहले कुल्लू के राजा ने यहां एक नया मंदिर बनवाया। इस मंदिर में इंदौर के अहिल्याबाई होल्कर ने 1784 में और सुधार किया। उसी समय मंदिर से सटे हुए घाट भी बनवाए गए। कालेराम का मंदिर नाम से लोकप्रिय नये मंदिर में जो काले बलुआ पत्थर की प्रतिमा स्थापित है वह सरयू नदी से हासिल की गई थी।
हनुमान गढ़ी
नगर के केन्द्र में स्थित इस मंदिर में 76 कदमों की चाल से पहुँचा जा सकता है। कहा जाता है कि हनुमान यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनि की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नागेश्वर नाथ मंदिर
कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थे तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया। कहा जाता है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल के यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला
महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली यह स्थान देश भर में रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। श्री स्वामी जी चिरान्द (छपरा) निवासी स्वामी श्री युगलप्रिया शरण 'जीवाराम' जी महाराज के शिष्य थे। ईस्वी सन् १८१८ में ईशराम पुर (नालन्दा) में जन्मे स्वामी युगलानन्यशरण जी का रामानन्दीय वैष्णव-समाज में विशिष्ट स्थान है। आपने उच्चतर साधनात्मक जीवन जीने के साथ ही आपने 'रघुवर गुण दर्पण','पारस-भाग','श्री सीतारामनामप्रताप-प्रकाश' तथा 'इश्क-कान्ति' आदि लगभग सौ ग्रन्थों की रचना की है। श्री लक्ष्मण किला आपकी तपस्या से अभिभूत रीवां राज्य (म.प्र.) द्वारा निर्मित कराया गया। ५२ बीघे में विस्तृत आश्रम की भूमि आपको ब्रिटिश काल में शासन से दान-स्वरूप मिली थी। श्री सरयू के तट पर स्थित यह आश्रम श्री सीताराम जी आराधना के साथ संत-गो-ब्राह्मण सेवा संचालित करता है। श्री राम नवमी, सावन झूला, तथा श्रीराम विवाह महोत्सव यहाँ बड़ी भव्यता के साथ मनाये जाते हैं। यह स्थान तीर्थ-यात्रियों के ठहरने का उत्तम विकल्प है। सरयू की धार से सटा होने के कारण यहाँ सूर्यास्त दर्शन आकर्षण का केंद्र होता है।
कनक भवन
हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण बहुत बार इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मन्दिर के श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) भारत के सुन्दरतम स्वरूप कहे जा सकते है। यहाँ नित्य दर्शन के अलावा सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाये जाते हैं।